Preface
युग ऋषि (वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. आचार्य श्रीराम शर्मा) ने विचार क्रांति को गति देने के लिए संगीत को प्रवचनों की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली बताया है।
उनके अनुसार किसी वक्ता का प्रवचन सुनने लोग तभी इकट्ठे होते हैं, जब वह कोई प्रसिद्ध वक्ता, प्रतिष्ठित संत या नेता हो। लेकिन संगीत इन बाधाओं से मुक्त है। यदि किसी का कंठ सरस और भाव अच्छे हैं तो संगीत सुनने के लिए अमीर- गरीब, शिक्षित- अशिक्षित सब इकट्ठे हो जाते हैं। इसके अलावा संगीत में विचार के साथ भावनाओं को भी छूने की असाधारण क्षमता होती है। भारत की धर्मप्राण जनता के भावों को प्रभावित करने में जितना प्रभाव धार्मिक कर्मकाण्ड का (धर्मतंत्र से लोकशिक्षण) होता है लगभग उतना ही संगीत का भी होता है।
युगऋषि के निर्देशन एवं अनुशासन में जन जागरण के लिए युग गायनों के विकास और विस्तार पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है। यह विधा बहुत लोकप्रिय भी हुई है। जिस तरह युग निर्माण आंदोलन के अन्तर्गत होने वाले यज्ञों के योगाचार्यों के बारे में कोई नहीं पूछता, उसी प्रकार युग संगीत की टोली में कौन कलाकार आ रहे हैं यह भी कोई नहीं पूछता। बस युग निर्माण मंच, युग संगीत की टोली होने का प्रचार जन- जन को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त होता है।
इसमें वे संगीत, भजन आदि शामिल किए गये हैं, जो जनता के बीच बहुत प्रभावशाली सिद्ध हुए हैं।
Table of content
1. मातृ-वंदना
2. काल-शक्ति को पहचानो
3. सौंदर्य प्राण प्यारा
4. राम-भक्ति का स्वरूप
5. भक्त और भगवान
6. यूँ न घबराओ
7. आत्मबल की पहचान
8. व्यक्ति-निर्माण
9. युग परिवर्तन
10. सहकार की सिद्धि
11. सहकार-संकल्प
12. गुरु से अनुदान
13. संघर्ष-साधना
14. करुणा की धार
15. धनी हृदय
16. अंश तुम्हारे
17. संघर्ष-सामर्थ्य
18. श्रेष्ठ सृजन
19. युग-परिवर्तन
20. प्रज्ञावतार
21. मिट्टी मेरे देश की
22. सपूतों की कहानी
23. मां के समक्ष
24. ऐसे मर्म भरो
25. प्यार कर लो
26. पुलकित प्राण
27. मानव-जीवन
28. क्रूर प्रथाएँ
29. बदलेंगे जमाना
30. संस्कृति की गुहार
31. होताओं से
32. ग्रामोत्थान
33. परिवर्तन-वेला
34. पास रहता हूं
35. धर्म का ध्यान
36. क्रांति की मशाल
37. सुबह क्या कहेगी
38. बदला जाए दृष्टिकोण
39. युग-सूर्यावतरण
40. नारी-जागरण
41. नया सवेरा
42. युग की पुकार
43. विश्वासघाती मनुज
44. कदम मिलाकर चलो
45. हजारों साथ होंगे
46. अलख जगाएंगे
47. स्वर्ग बनाना है
48. दु:ख-एक सौभाग्य
49. स्वानुशासन
50. नया इनसान
51. वाणी में भगवती
52. जीवन-दीप
53. सृजन-पर्व
54. आह्वान-गीत
55. नर से नारायण
56. पुरुषार्थ की पतवार
57. गायत्री-कीर्तन
58. हरो विश्व-विपदा
59. धर्म और विज्ञान
Author |
Pt. Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2013 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
64 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |