Preface
अंतः क्षेत्र का जागरण पुरुषार्थ
पेड़ ऊपर से भी खुराक लेता है और नीचे से भी खींचता है ।। जड़ें जमीन में दूर- दूर तक फैलती हैं और वहाँ से खाद- पानी समेटकर वृक्ष के अंग- अवयवों तक पहुँचाती हैं, पर बात पूरी इतने से ही नहीं हो जाती ।। ऊपर से सूरज की रोशनी, उपयुक्त हवा, मौसम की अनुकूलता आदि बहुमूल्य जीवनतत्त्व बरसते हैं ।। दोनों ओर से अभीष्ट अनुदान प्राप्त करते रहने की सुविधा पाकर ही पेड़ पनपता और फलता- फूलता है ।। यदि इनमें से एक पक्ष भी कम पड़े तो फिर पेड़ का अस्तित्व ही संकट में पड़ेगा ।। प्रगति होने की बात तो दूर रही ।।
मनुष्य के संबंध में भी ठीक यही बात कही जा सकती है ।। उसे अंतराल, मनःसंस्थान एवं अंग- अवयवों के साथ जुड़ी हुई जीवनी- शक्ति, प्राणविद्युत, रासायनिक विलक्षणता जैसी अगणित विशेषताओं के माध्यम से समुन्नत बनने का अवसर मिलता है ।। स्थूलशरीर की संरचना से भी बढ़कर सूक्ष्मशरीर की विशिष्टता है ।। तीसरा कारण शरीर तो अदृश्य जगत के साथ जुड़ा रहने के कारण और अद्भुत है ।। उसे दिव्य लोकवासी कहा जाता है ।। षट्चक्र, उपत्यिकाएँ, ग्रंथियाँ अतींद्रिय क्षमता केंद्र आदि की आंतरिक संरचना एवं विभूति भंडार को देखते हुए मनुष्य उससे कहीं अधिक महान प्रतीत होता है जैसा कि उसके बहिरंग को देखने पर बड़प्पन का मूल्यांकन करने पर दृष्टिगोचर होता है ।। यह ईश्वरप्रदत्त भांडागार सुनियोजित रूप से अंतरात्मा में भरा तो है पर प्रसुप्त स्थिति में ।। प्रयत्न करने पर ही उसे जगाया जा सकता है ।। बीज के भीतर समूचे वृक्ष की समग्र सत्ता सन्निहित होती है ।। शुक्राणु में एक परिपूर्ण व्यक्तित्व की सत्ता विद्यमान रहती है, पर अनायास ही बिना प्रयत्न के बीज से वृक्ष नहीं फूट पड़ता है और न शुक्राणु को तोड़कर कोई मनुष्य चहलकदमी करता है ।
Table of content
1. अंतः क्षेत्र का जागरण पुरुषार्थ
2. आत्म सत्ता परा छाया ज्ञानेन्द्रियों का आवरण
3. अनुभूति का आधारभूत तत्त्व आत्मसत्ता
4. अज्ञान का निवारण एवं पूर्णता की प्राप्ति
5. माया के भव बंधन एवं जीवन मुक्ति
6. जीवनयात्रा का भटकाव एवं उसके सुनियोजन की दिशाधारा
7. भ्रम जंजाल में भटक रहे हम सब
8. जो प्रत्यक्ष दृश्यमान है वह सत्य नहीं
9. विभूतियों का उद्गम केंद्र हमारा अपना ही अंतस्
10. कितना सामर्थ्यवान है अपना अन्तरंग
Author |
Pt Shriram sharma acharya |
Edition |
2009 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
80 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |