Preface
सृष्टि का संचरण किस क्रिया से होता है, इस संबंध में पदार्थ विज्ञान अणु को प्रथम इकाई मानता है। उनका कहना है कि अणु के अंतर्गत नाभिक तथा दूसरे उपअणु अपना क्रिया - कलाप जिस निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार संचरित करते हैं, उसी में विविध हलचलें उत्पन्न होती हैं और वस्तुओं के उद्भव से लेकर शक्ति , उपशक्तियों की विधा विभिन्न क्रम -विक्रमों के आधार पर चल पड़ती है ।। यह सत्तर वर्ष पुरानी मान्यता है। अब विज्ञान की आधुनिकतम शोधों ने बताया है कि अणु आरंभ नहीं परिणति है ।। सृष्टि का मूल एक चेतना है, जिसे पदार्थ और विचार की द्विधा से सुसंपन्न कहा जा सकता है। इस चेतना को वे प्रकृति कहते हैं ।। प्रकृति के स्फुल्लिंग ही परमाणु माने जाते हैं और कहा जाता है कि उन्हीं की गतिविधियों पर सृष्टि का उदभव , विकास और विनाश अवलंबित है।
Table of content
1.काम उल्लास का सृजनात्मक उपयोग
Author |
Pt. shriram sharma |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 cm x 12 cm |