Preface
अपना देश हजार वर्ष की गुलामी से अभी-अभी छूटा है । इस लंबी अवधि में उसे दयनीय उत्पीड़न में से गुजरना पडा़ है । यह दुर्दिन उसेअपनी हजार वर्ष से आंरभ हुई बौद्धिक भ्रांतियो, अनैतिक आकांक्षाओं और सामाजिक ढाँचे की अस्त व्यस्तता ओं के कारण सहना पडा़ । अन्यथा इतने बडे- इतने बहादुर- इतने साधन-सपन्न देश को मुट्ठी भर आक्रमण कारियोंका इतने लंबे समय तक उत्पीडन न सहना पड़ता ।
सौभाग्य से राजनैतिक स्वतंत्रता मिल गई । इससे अपने भाग्य को बनाने-बिगाडने का अधिकार हमें मिल गया । उपलब्धि तो यह भी बडी़ है,पर काम इतने भर से चलने वाला नहीं है । जिन कारणें से हमें वे दुर्दिन देखने पडे़, वे अभी भी ज्यों के त्यों मौजूद हैं । इन्हें हटाने के लिए प्रबल प्रयत्न करने की आवश्यकता है । अन्यथा फिर कोई संकट बाहर या भीतर से खडा़ हो जाएगा और अपनी नई स्वाधीनता खतरे में पड़ जाएगी । व्यक्ति और समाज को दुर्बल करने वाली विकृतियो की ओर ध्यान देना ही पडे़गा और जो अवांछनीय अनुपयुक्त है उसमें बहुत कुछ ऐसा है जिसको बदले बिना काम नहीं चल सकता । साथ ही उन तत्वों का अपनी रीति-नीति में समावेश करना पडेगा, जो प्रगति, शांति और समृद्धि के लिए अनिवार्य रूपसे आवश्यक हैं ।
Table of content
खंड-१
1. प्रगतिशील समाज व्यवस्था
2. अधिकार गौण और कर्त्तव्य प्रधान
3. उदार सहकारिता
4. अध्यापक का गौरव और उत्तरदायित्व
5. पर्दा प्रथा की अनीति
6. प्रौढ़ों की साक्षरता
7. व्यायाम और स्वास्थ्य शिक्षा
8. अश्लीलता हमें पतित बना रही है
9. आदर्श विवाह बिना फिजूलखर्ची
10. बाल विवाह एक कुप्रथा
11. उच्च शिक्षित कन्या की विवाह समस्या
12. विधुर और विधवाओं के समान अधिकार
13. विवेकपूर्ण मृतक भोज
14. भिक्षावृत्ति की समाप्ति
15. ढलती आयु का उपयोग
16. ज्ञानयज्ञ से नवनिर्माण.
खंड-२
17. राष्ट्रहित औरराष्ट्र निर्माण
18. देशभक्त नवनिर्माण में जुटें
19. श्रम सम्मान एवं गृह उद्योगों की आवश्यकता
20. ऊँच-नीच मान्यता का अन्याय
21. अनीति असुरता के अन्याय को रोकें
22. वोटरों की सतर्कता
२१. नारी उत्कर्ष हेतु प्रबुद्ध नारी आगे आएँ
२२. आततायी उद्दंडता का डटकर मुकाबला
२३. अन्न संकट की चुनौती का सामना
२४. वृक्षारोपण और हरीतिमा संवर्धन
२५. कला से भावनाओं का परिष्कार
खंड- ३
धर्म और संस्कृति
२६ आस्तिकता और उपासना
२७. देववाद और पूजा- अर्चा
२८. भूत पलित और उद्भिज देवी देवता
२९. धर्मतंत्र को प्रगतिशील बनाएँ
३०. मंदिर से आस्तिकता और सत्प्रवृत्तियाँ जगें
३१. साधु ब्राह्मण समाज का कर्त्तव्य और दायित्व
३२. गायत्री और यज्ञ भारतीय धर्म-संस्कृति के माता-पिता
३३. गायत्री यज्ञ आंदोलन
३४. प्राणियों के प्रति दया
३५. पशुबलि निषेध हो
३६. गौ संरक्षण की आवश्यकता
खंड- ४
आध्यात्मिक जीवन
३७. कर्मफल का भोग अनिवार्य
३८. दुष्कर्मों के दंड और प्रायश्चित
३९. ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग की साधना
४० आध्यात्मिक जीवन के पाँच कदम
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2011 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
224 |
Dimensions |
181mm X120mm X 10mm |