Preface
महामंत्र के २४ अक्षरों में सिद्धि, सामर्थ्य और ज्ञान-विज्ञान के अनन्त बीज विद्यमान हैं । उसकी शिक्षाएँ प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारक हैं । लोक और परलोक दोनों को स्वस्थ, संतुलित और सामंजस्यपूर्ण बनाती है । ऐसी कोई दूसरी तप-साधना है नहीं । यह कोई जादू या चमत्कार नहीं, अपितु शब्द शक्ति, भाव शक्ति का प्रत्यक्ष विज्ञान है, जिसे श्रद्धालु, अश्रद्धालु, तार्किक, अविवेकी कोई भी अपनाकर अपने बिगड़े स्वरूप को सुधार और सुधरे को अधिक सँवार कर स्वर्गीय परिस्थितियाँ विनिर्मित कर सकता है ।
प्रस्तुत संग्रह में महाशक्ति गायत्री विषय पर आधारित प्रेरक सद्वाक्यों का संकलन परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य में से किया गया है । इन आदर्श वाक्यों का उपयोग गाँव-शहर के सभी गली, मुहल्लों, घरों, चौराहों, पार्किंग स्थलों, शक्तिपीठों, प्रज्ञामण्डलों, महिला मण्डलों सार्वजनिक स्थानों, नारी केन्द्रों अथवा उन-उपयुक्त स्थानों में किया जाना चाहिए, जहाँ से जनसामान्य प्रेरणाप्रद विचारों से शिक्षा ग्रहण करें ।
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
11 cm x 14 cm |