Preface
आध्यात्मिकता का संदेश है कि हममें से हर कोई अपने भीतर दृष्टि डाले, अंतर्मुखी होकर देखे कि उसके भीतर कितनी प्रचुर मात्रा में दैवी संपत्ति भरी पड़ी है । यदि वह उसे जान ले, देख ले और उसका सदुपयोग करने लगे, तो मरने के बाद नहीं, इसी जीवन में आज ही स्वर्ग का आनन्द ले सकता है । यह कथा-कल्पना नहीं, वरन् सुनिश्चित तथ्य है कि अपने आपको जान लेने पर मनुष्य सब कुछ जान सकता है । अपने आपको सुधार लेने पर संसार की हर बुराई सुधर सकती है । अपने को बना लेने पर बाहर के जगत में सब कुछ बन सकता है । अपने को विकसित कर लेने पर बाहर की सारी गिरावट उत्कृष्टता में परिणत हो सकती है ।
प्रस्तुत संग्रह में वैज्ञानिक अध्यात्मवाद विषय पर आधारित सद्वाक्यों का संकलन परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य में से किया गया है । इन आदर्श वाक्यों का उपयोग गाँव-शहर के गली, मुहल्लों, देवालयों, शक्तिपीठों, घरों, चौराहों, पार्किंग स्थलों, सार्वजनिक स्थानों अथवा उन उपयुक्त स्थानों में किया जाना चाहिए, जहाँ से जनसामान्य प्रेरणाप्रद विचारों से शिक्षा ग्रहण करें ।
Author |
dev sanskriti vishvavidyalaya |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
11 cm x 14 cm |