Preface
गौवंश की महत्ता व उपयोगिता
हमारे प्राचीन ग्रंथ गौ महिमा से भरे पड़े है। मुक्त कण्ठ से गौ महिमा का गायन किया गया है,जिसका कुछ संकेत भर निम्न श्लोकों में किया जा रहा है :-
गौ माता हमारी सर्वापरी श्रद्धा का केन्द्र है और भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। वस्तुत: गौमाता सर्वदेवमयी है।अथर्ववेद में उसे रुद्रों की माता बसुओं की दुहिता ,आदित्यों की स्वसा और अमृत की नाभी संज्ञा से विभूषित किया गया है।
माता रुद्राणां दुहिता बसूनां।
स्वसाऽऽदित्यानाममृतस्ये नाभि:॥
भारतीय शास्त्रों के अनुसार गौ में तैंतीस करोड़ देवताओं का वास है।उसकी पीठ में ब्रह्मा,गले में विष्णु और मुख में रुद्र आदि देवताओं का निवास है।
यथा-
सर्व देवा: स्थिता देहे सर्वदेवमयी हि गौ:।
पृष्ठे ब्रह्मा गले विष्णु मुखे रुद्र:प्रतिष्ठित:॥
यही कारण है कि यदि सम्पूर्ण तैंतीस कोटि- देव का षोडशोपचार अथवा पञ्चोपचार पूजन करना हो तो केवल एक गौ माता की पूजा और सेवा करने से एक साथ सम्पूर्ण देवी- देवताओं की पूजा सम्पन्न हो जाती है।अत:प्रेय और श्रेय अथवा समृद्धि और कल्याण ,दोनों की प्राप्ति के लिए"गौ सेवा से बढ़कर कोई दूसरा परम साधन नहीं है।
Table of content
1. गोवंश की महत्ता व उपयोगिता
2. गोवंश का संरक्षण समय की सर्वोपरि आवश्यकता
3. गोसरक्षण-संवर्धन कैसे हो
4. आदर्श गौशालाओं की स्थापना
5. गोचरों कीपुनर्स्थापना
6. गौ का आर्थिक दृष्टि से महत्त्व
7. गौ का स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्त्व (काव थिरेपी)
8. अर्थशास्त्र एक दृष्टि में
9. क्या आप जानते हैं?
10. गौरक्षा हेतु किए गए प्रयासों का संक्षिप्त इतिहास एवं तत्संबंधी परिणाम
11. गौरक्षा के संबंध में महापुरुषों के संदेश/कथन
12. गौशाला कैसी हो ? गाय का दूध ही क्यों ?
13. योगीराज श्रीकृष्ण की समग्र क्रान्ति अब इस रूप में
14. युगऋषि पं ० श्रीराम शर्मा आचार्य का संदेश समझें
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
176 |
Dimensions |
14 cm x 21.5 cm |