Preface
वाङ्मय का यह खंड मूलतः विश्वभर की नारी शक्ति की जीवन गाथाओं का एक कोश है ।। भारतीय संस्कृति सदा से ही नारी शक्ति की पूजा का प्रतिपादन करती आई है ।। हमारे ऋषियों की मान्यता थी कि जहाँ नारी को समुचित सम्मान मिलता है, वहाँ देवत्व विद्यमान होता है ।। आदिकाल से ही नारी अपनी मूलभूत शक्ति जिसे हम संवेदना का नाम दे सकते हैं; के बलबूते इस गौरवास्पद सम्मान की अधिकारिणी रही है ।। वैदिककाल की ऋषिकाएँ हों, चाहे क्रांतिकारी उन्नीसवीं एवं बीसवीं सदी की महिलाएँ चाहे भारत एवं विश्वभर के अन्यान्य देशों में अवतरित हुई सेवा- धर्म की सिद्ध साधिकाएँ हों अथवा समाजसेवी एवं शौर्य पराक्रम की धनी असामान्य प्रतिभाएँ; विभिन्न रूपों में नारी शक्ति ने संस्कृति- पटल पर जो छाप छोड़ी है, उसी से हमारी संस्कृति विनिर्मित हुई है ।। हमारे विकास का यह गौरवमय पक्ष परमपूज्य गुरुदेव की लेखनी से नाचते- कूदते शब्दों के रूप में निकला है ।। आज जब चारों ओर नारी शक्ति को पददलित किया जा रहा है, उसकी अवमानना हो रही है तथाकथित नारी मुक्ति के नाम पर उसका कामुक भोग्यापरक स्वरूप उभारा जा रहा है उसका आत्मबल उभरकर आगे नहीं आ पा रहा है; प्रस्तुत खंड जीवनियों के मार्मिक अंशों के माध्यम से हमारी ५० प्रतिशत जनशक्ति को वह सामर्थ्य देगा, जिसकी आज सर्वाधिक आवश्यकता है ।। जिस समाज में दहेज की बलिवेदी पर बहुएँ जलाई जाती हैं ।। जिस देश में संप्रदाय एवं वर्गभेद के नाम पर अत्यधिक शोषण एवं अत्याचार नारी शक्ति पर होते हों, जहाँ नर का पौरुष आततायी बलात्कारियों के रूप में वीभत्स- तांडव नृत्य करता हुआ दिखाई पड़ रहा हो, समझ लेना चाहिए कि अब महाकाली के अवतरण का समय आ गया है ।।
Table of content
1 विश्व की महान क्रांतिकारी महिलाएँ
२ सेवाधर्म की सिद्ध साधिकाएँ
३ समाजसेवा पाश्चात्य नारी रत्न
४ नारी उत्थान को समर्पित उदारमना महिलाएँ
५ शौर्य और पराक्रम की धनी ये असामान्य प्रतिभाएँ
Author |
pt shriram sharma acharya |
Dimensions |
20 cm x 27 cm |