Preface
सारांश:
इसे एक सौभाग्य, संयोग ही कहना चाहिए कि जीवन को आरम्भ से अन्त तक एक समर्थ सिद्ध पुरुष के संरक्षण में गतिशील रहने का अवसर मिल गया।
उस मार्गदर्शक ने जो भी आदेश दिये वे ऐसे थे जिनमें इस अकिंचन जीवन की सफलता के साथ-साथ लोक-मंगल का महान प्रयोजन भी जुड़ा है।
15 वर्ष की आयु में उनकी अप्रत्याशित अनुकम्पा बरसनी शुरू हुई। इधर से भी यह प्रयत्न हुए कि महान गुरु के गौरव के अनुरूप शिष्य बना जाए। सो एक प्रकार से उस सत्ता के सामने आत्मसमर्पण हो ही गया। कठपुतली की तरह अपनी समस्त शारीरिक और भावनात्मक क्षमताएँ उन्हीं के चरणों पर समर्पित हो गयीं।
जो आदेश हुआ उसे पूरी श्रद्धा के साथ शिरोधार्य पर कार्यान्वित किया गया अपना यही क्रम अब तक चलता रहा है। अपने अद्यावधि क्रिया-कलापों को एक कठपुतली की उछल-कूद कहा जाय तो उचित ही विशेषण होगा।
Table of content
• हमारा अज्ञातवास और तप साधना का उद्देश्य
• हिमालय में प्रवेश
• प्रकृति का रुद्राभिषेक
• सुनसान की झोपड़ी
• सुनसान के सहचर
• विश्व समाज की सदस्यता
• हमारी जीवन साधना के अन्तरंग पक्ष-पहलू
• हमारे दृश्य जीवन की अदृश्य अनुभूतियाँ
Author |
pt shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
104 |
Dimensions |
121X178X6 mm |