Preface
प्रस्तुत वाङ़्मय एक प्रयास है, इस युग के व्यास परमपूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवन-दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने का। आज से 85 वर्ष पूर्व आगरा के आँवलखेड़ा ग्राम में जन्मा वेदमूर्ति तपोनिष्ठ की उपाधि प्राप्त भारतीय संस्कृति के उन्नयन को समर्पित एवं सच्चे अर्थों में ब्राह्मणत्व को जीवन में उतारने वाला यह राष्ट्र -सन्त अपने अस्सी वर्ष के आयुष्य में (1911-1990) आठ सौ से अधिक का कार्य कर गया। सादगी की प्रतिमूर्ति, ममत्व, स्नेह से लबालब अंतःकरण एवं समाज की हर पीड़ा जिनकी निज की निज की पीड़ा थी, ऐसा जीवन जीने वाले युगदृष्टा ने जीवन भर जो लिखा, अपनी वाणी से कहा, औरों को प्रेरित कर उनसे जो संपन्न करा लिया, उस सबको विषयानुसार इस वाङ़्मय के खण्डों में बाँधना एक नितान्त असम्भव कार्य है। यदि यह सफल बन पड़ा है तो मात्र उस गुरुसत्ता के आशीष से ही, जिनकी हर श्वाँस गायत्री यज्ञमय थी एवं समिधा की तरह जिनने अपने को संस्कृति -यज्ञ में होम कर डाला।
Table of content
१ ब्रह्मवर्चस की अतिफलदायी चान्द्रयण साधना
२. प्राण प्रत्यावर्तन एवं कल्पसाधना
३.व्यक्तित्व परिष्कार की अध्यात्मोपचार प्रक्रिया
४. आत्मोत्कर्ष का राजमार्ग-तप-तितिक्षा
Author |
pt shriram sharma acharya |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
575 |
Dimensions |
20 cm x 27 cm |