Preface
हमारी संस्कृति देव संस्कृति कहलाती है क्योंकि यह देवमानवों को जन्म देती चली आयी है । अनगढ़ को सुगढ़ जो बनाए एवं जीवन को समाज के हित -विश्वमानवता के निमित्त जीवन जीना सिखाए, वह है देव संस्कृति । यह कार्य कभी विश्वभर में हुआ था, इसीलिए यह विश्व संस्कृति कहलाती है । अनेकानेक संत, समाज सुधारक तथा अपना सब कुछ राष्ट्र को अर्पित कर देने वाले शहीद स्तर के महामानव इस धरती पर जन्म लेते आये हैं । उनमें बहुसंख्य भारत में ही जन्मे हैं क्योंकि भारत की भूमि देवभूमि है, इसके चप्पे-चप्पे में संस्कार भरे पड़े हैं । यहाँ की धरती त्याग-बलिदान-समर्पण ही सिखाती आयी है व सदा से ही संवेदना सिक्त रही है । इसी से प्रेरणा लेकर विश्वभर में ये संस्कार फैले व वहाँ भी स्थान-स्थान पर महामानव जन्मे ।
कौन-कौन ऐसे कीर्त्तिस्तम्भ हैं जिनने हमारी संस्कृति-इतिहास की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखा एवं जिनसे प्रेरणा लेकर अगणित व्यक्तियों ने अपनी जीवन राह बदल कर स्वयं को भी उनकी पंक्ति में खड़ाकर दिया ? ऐसे विश्ववद्य महापुरुष वसुधा जिन्हें पाकर धन्य हुई ? अगणित हुए हैं हमारे यहाँ किन्तु परमपूज्य गुरुदेव ने जिन्हें आदरपूर्वक अपने ग्रन्थों में स्थान दिया उनमें से कुछ संतो, सुधारकों, शहीदों के जीवन वृत्त इस खण्ड में दिये गये हैं । कुछ ऐसे हैं जो भारत में जन्मे, कुछ यहाँ जन्म लेकर विश्व भर में फैल गए तथा कुछ ने बाहर जन्म लिया पर काम देवसंस्कृति से अनुप्राणित होकर ही किया ।
Table of content
अभ्यास-1 विश्वबंध- संत जिन्हें पाकर वसुधा धन्य हुई
अभ्यास-2 समाज-सुधार तथा परोपकार के अग्र
अभ्यास-3 भारत की महान विभूतियाँ
Author |
pt shriram sharma acharya |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Dimensions |
20 cm x 27 cm |