Preface
कथा-कहानी के अनेक रूप हैं । हजारों पन्नों के विशालकाय उपन्यास और दस-बीस पंक्तियों के दृष्टांत सबकी गणना उसी विभाग में होती है । पुराणों की कथाएँ उपाख्यान आदि की रचना भी इसी उद्देश्य से की गई है । जो लोग वेद, उपनिषद् दर्शन, स्मृतियों में वर्णित धार्मिक उपदेशों को नहीं समझ सकते, वे उनको कथाओं के माध्यम से रुचिपूर्वक सुन लेते हैं और कुछ लाभ भी उठा सकते हैं ।
मनोरंजन में अक्सर धूर्तता, अंधविश्वास और अवांछनीयता तक का समर्थन रहता है । प्रचलित कहानियों में से नैतिक चेतना की प्रेरणा देने वाली कितनी हैं, यदि इसकी तलाश की जाए तो उनमें से खरी नहीं, खोटी ही सिद्ध होंगी । उन्हें सुनने- सुनाने से मनोरंजन तो हो जाता है, पर परोक्ष रूप से मस्तिष्क को अनैतिक एवं अवांछनीय तृष्णा ही प्राप्त होती है ।
इस दृष्टिकोण को सामने रखकर परमपूज्य गुरुदेव ने ऐसे छोटे-छोटे दृष्टांतों, लघु कथाओं का निर्माण किया है, जिनको लोग दस-पाँच मिनट में पढ़कर हृदयंगम कर सकें और उनमें से हर कोई उपयोगी शिक्षा ग्रहण कर सकें । ऐसी रचनाएँ भावनात्मक एवं घटनाप्रधान होने के कारण बहुत ही उपयोगी सिद्ध होती हैं, क्योंकि जब पढ़ने वाला देखता है कि इस स्वार्थी और शोषण प्रवृत्ति की प्रधानता वाले जमाने में भी कुछ लोग परोपकार, कर्त्तव्यपरायणता एवं सिद्धातनिष्ठा के लिए इस प्रकार तन, मन, धन निछावर करने को सर्वस्व उत्सर्ग करने को उद्यत हो जाते हैं, तो उनके मन पर निश्चित रूप से गहरा प्रभाव पड़ता है और अगर उसी दिशा में बढ़ते रहा जाए तो धीरे- धीरे स्थायी भी हो सकता है ।
Table of content
1. आस्तिकता और ईश्वर विश्वास।
2. ईश्वर भक्ति और आध्यात्मिकता।
3. आत्मबोध और आत्मविस्तार।
4. आत्मशोधन और जीवन साधना।
5. सेवा, परोपकार और पुण्य-परमार्थ।
6. पात्रता की कसौटी एवं योग्यता की परख।
7. प्रेम, करुणा और उदारता।
8. उत्सर्ग, त्याग और बलिदान।
9. कर्त्तव्यपरायणता और सिद्धान्तनिष्ठा।
10. संयम, सन्तुलन एवं आत्मनियन्त्रण।
11. शील, सदाचार और सच्चरित्रता।
12. धर्म-धारण का मर्म।
13. प्रेरणाप्रद कथा-वार्ताएँ।
14. सद्गुण और सत्प्रवृत्तियाँ।
15. अनीति से संघर्ष-अन्याय का प्रतिकार
16. पुरुषार्थ, अध्यवसाय, लगन और श्रमशीलता।
17. दाम्पत्य जीवन और परिवार निर्माण।
18. दोष और पतन।
19. अन्धविश्वास, अविवेक और अज्ञान।
20. लोभ और मोह।
21. अहंकार, अभिमान एवं क्रोध।
22. ईर्ष्या और वासना।
23. प्रेरक लघु कथाएँ।
Author |
pt shriram sharma acharya |
Dimensions |
20 cm x 27 cm |