Preface
प्रत्येक माता पिता की यह हार्दिक इच्छा रहती है कि उसकी संतान बहुत सुन्दर, संस्कारवान, बुद्धिमान एवं स्वस्थ हो। इसके लिए गर्भ में ही शिशु का पोषण कर उसके शरीर और शरीर को चलाने वाली अन्तःचेतना का विकास किया जाना अवश्यंभावी है। गर्भावस्था में शिशु का शारीरिक, मानसिक व् आध्यात्मिक विकास कर उसे मन चाहे सांचे में ढाला जा सकता है। हमारे घर में भी राम, कृष्ण, मुहम्मद, ईसा, भक्त प्रह्लाद,शिवाजी, विवेकानंद, अब्दुल क़लाम, जैसी प्रतिभाशाली एवं दिव्य संताने जन्म ले सकती हैं। आओ जाने यह कैसे संभव है।
Table of content
1. प्रस्तावना
2. संस्कार बनाम व्यक्तित्व
3. गर्भस्थ शिशु और वातावरण
4. माँ एवं बच्चे का मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य
5. लिंग भेद, पुत्र और कन्या में अंतर एक सामाजिक अपराध
6. गर्भोत्सव मनाएं
7. हमारा निर्माण सत्संकल्प
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2017 |
Publication |
Yug Nirman Yojana Press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
56 |
Dimensions |
14 cm x 21.5 cm |