Preface
समर्पण के कुछ समय बाद एक दिन गुरुदेव ने हमें साहस दिलाते हुए स्नेहपूर्वक कहा- बेटा कभी घबराना नहीं जब भी कोई समस्या आये तो अखंड ज्योति एवं मेरे साहित्य में हाथ डालना और जो कुछ सामने आए उसे पढ़ना, चिंतन-मनन करके आचरण में लाने का अभ्यास करना। तुम्हारी सभी समस्याओं का समाधान मिलेगा। स्वाध्याय के प्रति रूचि बहुत पहले से थी। गुरुदेव की अखंड जोति का एक एक शब्द पढ़ जाते थे। जब भी कोई समस्या मस्तिष्क में हलचल पैदा करती तो गुरुवार के निर्देशानुसार स्वाध्याय का सहारा लेते और कोई अंक निकाल कर पढ़ने लगते। गुरुवार के आश्वासन के अनुसार उस समस्या का कोई समाधान मिल जाता है।
Table of content
1. हमारा समर्पण
2. जो आस्था की सचाई का प्रमाण दे सकें
3. संख्या नहीं समर्थता चाहिए
4. निराशा से कैसे उबारा?
5. सद्गुरु ने लोभ-मोह से कैसे बचाया?
6. क्या युग परिवर्तन सचमुच हो जाएगा ?
7. जो न बदल पाएँगे अपने आप कुचल जाएँगे
8. विचारक्राति अभियान क्या ? क्यों ?
9. ज्ञानक्रांति की मशाल बुझने वाली नहीं
10. शपथ गुरुवर की संकल्प हमारा
11. क्या करें नहीं, क्या बनें ?
12. युग शिल्पी सृजन साधना में एकनिष्ठ भाव से लगें
13. लोकसेवी सांसारिक बाधाओं से कैसे बचें
14. योजना बन चुकी है-अब कार्य करना है
15. गुरुदीक्षा के साथ श्रद्धा-समर्पण आवश्यक
16. स्वतंत्रता के बाद अगला मोर्चा कहाँ होगा ?
17. राष्ट्र देव के चरणों में प्राणवान जवानी समर्पित हो
18. मजबूत कंधे चाहिए
19. गुरुदेव के प्राणप्रिय बनें
20. भावना शरीर ही वास्तविक शरीर
21. शरीर से नहीं विचारों से प्रेम करें
22. मणि-मुक्तकों की तलाश
Author |
Ad. Dwarika Prasad Chaitanya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug Nirman Yojana trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Page Length |
88 |
Dimensions |
12 X 18 cm |