Preface
मनुष्य एक विचारशील प्राणी है, चिंतन मनन करने की क्षमता के कारण ही वह दुनिया के अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ माना गया है। परमात्मा ने मनुष्य को ऐसी बौद्धिक शक्ति दी है, जिसके बल पर वह स्वयं सुखी जीवन जीते हुए अनेकों को सुखी जीवन की राह पर चला सकता है, किन्तु आज हम देखते हैं कि वह दिशाहीन होकर अपनी ईश्वर प्रदत्त वैचारिक क्षमता का दुरुपयोग कर रहा है। इसे वैचारिक प्रदूषण भी कह सकते हैं, जो समस्त समस्याओं का मूल कारण है। इस दुर्मतिजन्य दुर्गति से यदि पीछा छुड़ाना है तो हमें श्रेष्ठ विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का तंत्र खड़ा करना पडेगा। सद्विचारों के अभाव से ही मनुष्य के चिंतन व् चरित्र में दुष्टता व भ्रष्टता आई है
परमपूज्य गुरुदेव ने अपनी गहरी सोच के आधार पर यह निष्कर्ष निकला था कि यदि हमें दुनियाँ को बदलना है तो व्यक्ति के विचारों को बदलना होगा। अब तक के जितने भी बड़े बड़े परिवर्तन हुए हैं उनका आधार वैचारिक परिवर्तन ही रहा है।
Table of content
1) विद्या विस्तार केंद्र स्थापना
2) साहित्य विस्तार पटल योजना
3) ज्ञानयज्ञ प्रचारक
4) स्वाध्याय मंडल
5) पत्रिका विस्तार
6) झोला पुस्तकालय
7) ज्ञानरथ
8) ज्ञान मंदिर
9) दीवार लेखन
10) सद्वाक्य, पोस्टर स्टीकर योजना
11) सद्विचार योजना
12) निःशुल्क साहित्य वितरण योजना
13) बुक हेंगर योजना
14) पुस्तक मेला
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2013 |
Publication |
yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
32 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |