Preface
भौतिक क्षेत्र की सफलताएं, योग्यता, पुरुषार्थ एवं साधनों पर निर्भर करती है। आमतौर से परिस्थितियां तदनुरूप ही बनती है। अपवाद तो कभी कभी ही होते हैं, बिना योग्यता बिना पुरुषार्थ एवं बिना साधनों के भी किसी को कारूं का गढ़ा खजाना हाथ लग जाय, छप्पर फाड़ कर नरसी के आँगन में हुण्डी बरसने लगे तो इसे कोई नियम नहीं, चमत्कार ही कहा जाएगा। वैसी आशा लगाकर बैठे रहने वाले, सफ़लताओं का मूल्य चुकाने की आवश्यकता न समझने वाले व्यवहार जगत में सनकी माने जाते हैं। नियति-विधान का उल्लंघन करके उचित मूल्य पर उचित वस्तुएं खरीदने की परम्परा को झुठलाने वाली पगडण्डियां ढूंढने वाले पाने के स्थान पर खोते ही रहते हैं। लम्बा मार्ग चलकर लक्ष्य तक पहुँचने की तैयारी करना ही बुद्धिमत्ता है। यथार्थवादिता इसी में है। बिना पंखों के कल्पना लोक में उड़ान उड़ने वाले बहिरंग जीवन में, व्यवहार क्षेत्र में कदाचित कभी कोई सफल हुए हों।
Table of content
1. अध्यात्म क्षेत्र की उच्चस्तरीय सफलताओं का सुनिश्चित राजमार्ग
2. कल्प साधना का उद्देश्य और स्वरुप
3. साधना से सफलता के दो अनिवार्य अवलम्बन
4. आतंरिक परिशोधन हेतु प्रायश्चित प्रक्रिया की अनिवार्यता
5. कर्मफल की सुनिश्चितता एक महत्वपूर्ण तथ्य
6. दुष्कृत्यों के अवरोधों को हटाने की साहसिकता उभरे
7. पापों का प्रतिफल और प्रायश्चित शास्त्र-अभिमत
8. समस्त व्याधियों का निराकरण-अध्यात्म उपचार से
9. प्राश्चित का पूर्वार्ध पश्चाताप
10. हठीले कुसंस्कारों से मुक्ति प्रायश्चित प्रक्रिया से ही सम्भव
11. क्षतिपूर्ति-पूर्णाहुति
12. कल्पकाल की आहार साधना
13. आतंरिक परिष्कार का स्वर्ण सुयोग
14. अंतर्मुखी प्रवृत्ति और निरंतर आत्म दर्शन
15. जीवन साधना में संयमशीलता का समावेश
16. आध्यात्मिक कयलकल्प की साधना का तत्वदर्शन
17. कल्पकाल की त्रिविध अनिवार्य साधनाएं
18. कल्पकाल की अति फलदायी ऐच्छिक साधनाएं
19. आहार एवं औषधि कल्प के मूल सिद्धांत एवं व्यावहारिक स्वरुप
20. आहार सम्बन्धी कुछ भ्रांतियां एवं उनका निवारण
21. कल्प चिकित्सा की पात्रता के सम्बन्ध में महर्षि चरक का मत
22. विभिन्न प्रकार के कल्प प्रयोग
23. कल्प उपचार के सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार
Author |
Pt. Shriram Sharma Aaachrya |
Publication |
Yug Nirman Yojana trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Page Length |
172 |
Dimensions |
12 X 18 cm |