Preface
हमारे देश में दिवंगत व्यक्ति की आत्म शांति के लिए मरणोत्तर संस्कार का विधि-विधान श्रद्धा और परिस्थितियों के अनुरूप छोटे-बड़े रूप में हर क्षेत्र में किया जाता है। उक्त शास्त्रीय विधि-विधान के अतिरिक्त कुछ लौकिक प्रयोग भी जगह-जगह प्रचलन में हैं। श्राद्ध कर्म पूरा होने तथा परिवार व्यवस्था को पुनः सहज क्रम में लाने के लिए परिजनों, परिवार के स्नेही इष्ट मित्रों, शुभ चिन्तकों को एकत्रित करके एक छोटा सा पारिवारिक कार्यक्रम किया जाता है। जिसे दिवंगत के प्रति श्रद्धाञ्जलि, शान्ति सभा या पगड़ी-रस्म जैसे नामों से सम्बोधित किया जाता है। इसे लोग अन्त्येष्टि के बाद दूसरे दिन से लेकर तेरहवीं तक कभी भी अपनी मान्यता और सुविधानुसार सम्पन्न करते-कराते हैं।
परिजन इन्हें अपने-अपने ढंग से सम्पन्न कराते भी रहते हैं। उसे व्यवस्थित स्वरूप देने की दृष्टि से मरणोत्तर शान्ति प्रयोग के नाम से उसकी संक्षिप्त, सुगम एवं प्रभावी रूपरेखा बना दी गई है। परिजन क्षेत्रीय मान्यताओं और परिस्थितियों के अनुसार इसका प्रयोग करते रह सकते हैं।
Table of content
1. निवेदन-
2. पूर्व व्यवस्था-
3. प्रयोग प्रारंभ -
4. सामूहिक पवित्रीकरणम् -
5. गुरु आवाहनम्-
6. मुक्तक-
7. गीत-
8. ज्योतिपुरुष आवाहनम्
9. संक्षिप्त उद्बोधन-
10. शान्ति प्रार्थना -
11. पुष्पाञ्जलि
Author |
Brahmvarchas |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
16 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |