Preface
पशु विद्या के जानकार लोग घोड़ा, गाय, भैंस, बैल, ऊँट आदि के अंगों की बनावट पर बारीकी से नजर डालते हैं और यह बता देते हैं कि यह पशु, इस नस्ल का है ।। इसके गुण, कर्म और स्वभाव इस प्रकार के होंगे ।। उस पशु को काम में लाकर परीक्षा करने के लिए बहुत समय चाहिए ।। इतना समय खरीद- फरोख्त में नहीं मिलता, यह कठिनाई बहुत बड़ी मालूम पड़ती अगर शारीरिक चिन्हों को देखकर स्वभाव जानने की विद्या का आविष्कार न हुआ होता ।। परंतु अब वैसी कठिनाई नहीं है, एक मामूली किसान मोटे तौर से देख- भाल करके झट बता देता है कि यह बैल कैसा निकलेगा ?? गाय- भैंस के दूध- घी के बारे में भी वह आसानी से अंदाजा लगा लेता है ।। इसी प्रकार ऊँट, घोड़ा, हाथी आदि की खरीद- फरोख्त करने वाले लोग भी एक दृष्टि डालकर पशु के भीतर का हाल जान लेते हैं ।। उनका अंदाज कुछ अपवादों को छोड़कर आमतौर से ठीक ही निकलता है ।।
आकृति देखकर पशुओं का स्वभाव जानने की विद्या इतनी सच साबित हुई कि अब उसमें संदेह और मतभेद की अधिक गुंजाइश नहीं रही ।। अनुभव ने उसकी प्रामाणिकता साबित कर दी है ।। यह सब देखते हुए भी जो लोग आकृति देखकर मनुष्य की पहचान के बारे में शक करते हैं, उसे मिथ्या कहते हैं, उनकी बुद्धि को क्या कहा जाए ? वास्तविकता यह है कि जिस प्रकार पशु के बाह्य चिन्ह देखकर उसके भीतर के गुण जाने जा सकते हैं, उसी प्रकार मनुष्य को भी पहचाना जा सकता है ।। गुणों से आकृति की रचना होती है ।। जिसका जैसा स्वभाव है, उसकी शारीरिक आकृति भी वैसी ही बनने लगेगी ।।
Table of content
1. हाथ
2. हथेली
3. उँगलियाँ
4. अँगूठा
5. नाखून
6. तिल
7. ग्रह विचार
8. रेखाओं का फल
Author |
Pt. Shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |