Preface
हमने अपने जीवन में ऐसे कई व्यक्ति देखे, जिन्होंने कठोर तपस्या की थी फिर भी उनमें कोई सिद्धि दृष्टिगत नहीं होती जैसी कि परम पूज्य गुरुदेव ने प्राप्त की थी। अवसर पाकर एक दिन पूज्यवर से मैने पूछ ही लिया "हे गुरुदेव ! आपने गायत्री मंत्र का जाप किया है। औरों ने भी उसी २४ अक्षर वाले गायत्री मंत्र का जाप किया है फिर उन लोगों को आप जैसी सिद्धि उपलब्ध क्यॊं नहीं हो सकी?" पूज्यवर ने मुस्कराकर कहा "बेटा हमने इस गायत्री मंत्र का जप तो बाद में किया है, पहले अपने बहिरंग एवं अन्तरंग का परिष्कार किया है। इसके बिना सारी आध्यात्मिक उपलब्धियाँ प्राप्त होने पर भी अप्राप्त होने के समान ही हैं। हमने धोबी की तरह अपने मन को पीट-पीट कर धोया है। केवल जप करने से तो किसी को लाभ मिलता ही नहीं।"
Table of content
1. जप और सिद्धि
2. पवित्रीकरण क्यों और कैसे ?
3. आचमन की सार्थकता
4. शिखावंदन किसलिए
5. प्राणायाम का सिद्धांत
6. न्यास की उपयोगिता
7. पृथ्वीपूजन का तात्पर्य
8. देव पूजन का रहस्य
9. मूर्तिपूजा क्यों
10. जल के माध्यम से समर्पण
Author |
Pt shriram sharma acharya |
Edition |
2015 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistara Trust |
Page Length |
48 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |