Preface
अध्यात्म विज्ञान के साथ एक आश्चर्यचकित करने वाली संभावना जुड़ी हुई है । वह है अचेतन मन: क्षेत्र की प्रसुप्त पड़ी दिव्य क्षमताओं को जगाना एवं सक्रिय बनाना । इस सन्दर्भ में भौतिक विज्ञानी भी कुछ कुरेद बीन करते रहे हैं और जो उनके हाथ लगा है उसे देखते हुए इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि विज्ञान पराक्रम जन्य क्षमताओं की तुलना में कहीं अधिक उच्चस्तरीय प्रभावी एवं समर्थताओं से भरी पूरी सत्ता विद्यमान है । दूरदर्शन, दूर श्रवण, भविष्य कथन विचार संचालन जैसे अगणित प्रयोग परीक्षण-परा मनोविज्ञान-मैटाफिजिक्स के आधार पर हुए है और उस आधार पर इस तथ्य की परिपूर्ण पुष्टि हो चुकी है कि मानवी अंतराल में दिव्य क्षमताओं का अजस्र भण्डार छिपा पड़ा है । नोबेल पुरस्कार विजेता ऐलेक्सिस कैरेल ने अपनी "मेन दि अननोन" पुस्तक में अगणित तथ्य प्रमाण प्रस्तुत करते हुये यह सिद्ध किया है कि सामान्य जीवन में चेतना की सामर्थ्य का मात्र सात प्रतिशत ही प्रयुक्त होता है । जो उपयोग में आता है वह हल्का उथला एवं इतना है जिससे अन्य प्राणियों की तरह निर्वाह क्रम चलता रहे ।
Table of content
1. योग साधानएँ पूर्णतः विज्ञान सम्मत
2. अध्यात्म अनुशासन का मूलभूत प्रयोजन समझें
3. मानवी काया का सूक्ष्म विश्लेषण एवं उसका योग द्वारा सुनियोजन
4. योग के भावार्थ को हृदयंगम करें
5. सफल साधना शांत मनःस्थिति पर निर्भर
6. अध्यात्म क्षेत्र की तीन विशिष्ट सिद्धियाँ
7. सिद्धियों के भ्रम जंजाल से निकलें वास्तविकता समझें
8. अध्यात्म-अमृत, पारस, कल्पवृक्ष
9. उपासना, साधना, आराधना की योगत्रयी
Author |
Pt. Shriram Sharma Aachrya |
Publication |
Yug Nirman Yojana trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Page Length |
72 |
Dimensions |
12 X 18 cm |