Preface
परकाया प्रवेश शब्द हमारी रोज की बोल-चाल में कम प्रयोग होता है, इसलिए इसमें कुछ विचित्रता और अजनवीपन-सा प्रतीत होता है । परंतु ध्यानपूर्वक देखने पर इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है । यह प्राणियों का स्वाभाविक धर्म है । थोड़ी-बहुत मात्रा में सभी प्राणी नित्य के जीवन में इसका प्रयोग करते हैं, जिनमें यह शक्ति अधिक होती है, वह उससे अधिक लाभ उठा लेते हैं । विशेष अभ्यास के साथ प्रचुर परिमाण में इस कला को सीख लेने के उपरांत ही बडे-बड़े कठिन कार्यों में ऐसी सफलता प्राप्त की जा सकती है, जिसे अलौकिक और अद्भुत कहा जा सके ।
"परकाया" शब्द का अर्थ पराया शरीर है । पर-काया प्रवेश अर्थात दूसरे के शरीर में प्रवेश करना । यहाँ यह संदेह उत्पन्न होता है कि दूसरे के शरीर में भला किस प्रकार प्रवेश किया जा सकता है? शरीर चमड़े की झिल्ली से ढका हुआ है ।
Table of content
1. परकाया प्रवेश कैसे हो सकता है ?
2. यह क्रिया नई नहीं है
3. परकाया प्रवेश क्यों?
4. दूसरों को कैसे समझाएँ
5. त्राटक का अभ्यास
6. साधक की आरंभिक योग्यता
7. दृष्टिपात का अभ्यास "त्राटक"
8. विचारों की एकाग्रता का अभ्यास "नाद" जानने योग्य कुछ बातें
9. दूसरों पर आत्मशक्ति का प्रयोग
10. निद्रित करके प्रभावित करना
11. सोते हुए आदमी पर प्रयोग
12. दूरस्थ व्यक्ति को प्रभावित करना
13. दूसरों के मन की बात जानना
14. हिप्नोटिज्म
15. उपसंहार
Author |
Pt. Shriram Sharma Aaachrya |
Publication |
Yug Nirman Yojana trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Page Length |
64 |
Dimensions |
12 X 18 cm |