Preface
यम- नियमों द्वारा अंतःचेतना की सफाई के साथ- साथ शरीर और मन को बलवान बनाने की आवश्यकता है ।। चिकित्सा द्वारा शरीर में से बीमारी को हटा देने के पश्चात रोगी को अच्छे भोजन की भी व्यवस्था करनी पड़ती है ।। फूटे हुए बरतन के छेद बंद कर देने के उपरांत ही उसमें जल आदि भर देते हैं ।। खेती को जंगली पशुओं से बचाए रखना आवश्यक है, पर इतने से ही काम नहीं चल सकता ।। अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए खेत में खाद देना और सींचना भी जरूरी है ।। योग- साधना ऐसी ही खेती है, जिसे यम- नियम द्वारा हिंसा, झूठ, चोरी, व्यभिचार, लोभ, मलिनता, तृष्णा, आलस्य, अज्ञान सरीखे दस जंगली पशुओं से रक्षा करनी होती है और आसनों का खाद तथा प्राणायाम का पानी देना होता है तभी संतोषजनक प्रगति होती है ।।
आसनों की बाह्य रूपरेखा व्यायाम से मिलती- जुलती है ।। जिस प्रकार दंड- बैठक, ड्रिल आदि से कसरत होती है, वैसी ही क्रियापद्धति आसनों में देखी जाती है ।। स्थूल दृष्टि से देखने में आसनों की परिपाटी व्यायाम की आवश्यकता की पूर्ति के लिए बनाई गई प्रतीत होती है ।। अतएव यह प्रश्न सहज ही उठ खडा होता है कि जो लोग पहलवानी करते हैं, दंड- बैठक करते हैं, हॉकी- फुटबाल खेलते हैं या कड़ी मशक्कत करके जीविकोपार्जन करते हैं, उनके लिए आसनों की क्या आवश्यकता है ? व्यायाम तो अन्न, जल, निद्रा की भांति साधारण दैनिक क्रिया है ।।
Table of content
1. आसन क्यों और कैसे
2. अन्य व्यायाम
3. प्राणायाम की महत्ता
4. आध्यात्मिक साधना के लिए पद्मासन
5. शवासन
6. प्राणायाम संबंधी कुछ जानकारियाँ
7. प्राणायाम और व्यायाम के सम्मिलित अभ्यास
Author |
Pt. Shriram Sharma Aaachrya |
Publication |
Yug Nirman Yojana trust, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Press, Mathura |
Page Length |
40 |
Dimensions |
12 X 18 cm |