Preface
इस शिविर में मैं उस अध्यात्म को आपको सिखाने वाला हूँ जो मुझे मेरे गुरु ने सिखाया है और उसका परिणाम नगद धर्म है । इससे आपको क्या मिलेगा ? इससे आपको भीतर से एक ऐसी चीज मिलेगी, जिसे संतोष कहते हैं । संतोष किसे कहते हैं ? बेटे, संतोष उसे कहते हैं, जिसके कारण आदमी मस्ती में झूमता रहता है, खुशी से झूमता रहता है । आदमी की परेशानियों दूर हो जाती हैं । न आदमी को ट्रैंक्यूलाइजर की गोलियों खानी पड़ती हैं, न ड्रिंक करना पड़ता है और न सिनेमा जाना पडता है । आदमी अपनी जिंदगी शांति से, चैन से जी लेता है । ऐसी शांति की जिंदगी, जिसमें बहुत गहरी नींद आती है ।
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Publication |
Yug Nirman Trust, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 X 12 cm |