Preface
प्राण मनुष्य शरीर की सार वस्तु है । इसके द्वारा न केवल हमजीवन धारण किए हुए हैं, वरन बाहरी प्रभावों से अपनी रक्षा भी करते हैं और दूसरों पर असर भी डालते हैं । ये दोनों ही कार्य अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं । डॉक्टर पिच के मतानुसार इस कार्य में एकछोटे-मोटे बिजली घर के बराबर विद्युत शक्ति खरच होती रहती है ।हम अपनी इस शक्ति के बारे में कुछ अधिक जानकारी नहीं रखते इसलिए इन बातों को सुनकर आश्चर्य करते हैं । वह शक्ति हमारे जानने, न जानने की परवाह नहीं करती और जन्म से मृत्यु पर्यंत कम-बढ़ मात्रा में सदैव बनी रहती है । प्राणशक्ति का एक-एक परमाणु अपने अंदर अनंत शक्ति का भंडार छिपाए बैठा है । इसका उपयोग करके मनुष्य देवताओंजैसे अद्भुत कार्य कर सकता है । प्राण की रोग निवारक शक्ति प्रसिद्ध है, यदि उसके अंदर यह गुण न होता, तो इतने विकारों सेभरे हुए संसार में एक क्षण भी नीरोग रहना कठिन होता । उस शक्तिको यदि ठीक प्रकार से काम में लाने की विधि जान ली जाए तो नकेवल स्वयं नीरोग रहें, वरन दूसरों को भी रोग मुक्त कर सकते हैं । इस पुस्तक में कुछ ऐसी ही विधियाँ बताई गई हैं, जिनके द्वारा तुम अपने पीड़ित भाइयों को रोग मुक्त करके उनकी सेवा-सहायता करते हुए अपने जीवन को सफल बना सकते हो । जब तुम इनका प्रयोग करोगे, तो हमारी ही तरह इनकी अव्यर्थता पर श्रद्धा करने लगोगे ।
Table of content
• महान प्राण तत्व
• प्राण चिकित्सा के विशेषताएँ ।
• प्राण चिकित्सा का इतिहास
• प्राणाकर्षण क्रिया
• रोगों का निदान
• रोगी का उपचार
• किस रोग में क्या उपचार
• प्राण चिकित्सा के प्रमुख उपचार
• कुछ रोग निवारक श्वासक्रियाएँ
• मन्त्रित वस्तुओं द्वारा उपचार
• प्राण चिकित्सकों की निजी सलाह
• अपना इलाज
• किसी खास रोग का उपचार
• मानसिक चिकित्सा
Author |
Pandit Shriram Sharma Aacharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Publisher |
Yug Nirman Yogana, Mathura |
Page Length |
64 |
Dimensions |
181mmX119mmX3mm |