Preface
मित्रो, गायत्री मंत्र की, गायत्री माता की, भगवान की मूर्तियाँ हमारे घरों में होनी चाहिए ।। लेकिन इससे भी ज्यादा शानदार, इससे भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हर इनसान के हर व्यक्ति के और हर हिंदू के हृदय में इनकी स्थापना की जाए ।। गायत्री मंत्र केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं है, वरन वह प्रत्येक धर्मावलंबी व मजहब के मानने वालों के लिए है ।। हमें उन्नति करनी है, तो इन प्रतीकों को फिर अपनाना पड़ेगा, जिसको हम गायत्री कहते हैं ।। जिसकी स्थापना शरीरों में की गई थी ।। स्थापना मंदिरों में नहीं, पूजा- घरों में ही नहीं, बल्कि प्रत्येक हिंदू के शरीर के ऊपर इसकी स्थापना हुई ।। कैसे स्थापना हुई? शिखा और सूत्र के रूप में हुई ।। शिखा क्या है? शिखा एक विवेकशीलता की देवी, ज्ञान की देवी हमारे मस्तिष्क के ऊपर हावी है ।। मस्तिष्क के ऊपर हावी है और हमारे झंडे के रूप में फहराती है ।। शिखा क्या है? शिखा गायत्री है ।। जिस प्रकार से शंकर भगवान का सिंबल, शंकर भगवान का चित्र हम गोल- मटोल बना देते हैं और मंगलमय हो लेते हैं, उसी तरह से गायत्री माता का सिंबल और चित्र, यह गायत्री माता की मूर्ति के रूप में हमारी शिखा के ऊपर रखा गया है।
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Publication |
Yug Nirman Trust, Mathura |
Page Length |
32 |
Dimensions |
9 X 12 cm |