Preface
मनुष्य जाति बहुत समय से एक ऐसी सिद्धि की कल्पना करती चली आ रही है वह दूसरों को वश में कर सके । इस दिशा में अब तक बहुत प्रयत्न हुए हैं और अनेक किंवदंतियाँ एवं कथाएँ प्रचलित हुई हैं । कहीं-कहीं इन जनश्रुतियों में इतनी अत्युक्ति होती है कि एक जिज्ञासु के लिए यह निर्णय करना कठिन हो जाता है कि इसमें कितना सत्य है और कितना असत्य |
सर्वसाधारण के लिए मंत्र द्वारा किसी को मोहित कर लेने का कोई नियम ईश्वरीय सृष्टि में नहीं है क्योंकि परमात्मा हर मनुष्य की स्वाधीनता को अक्षुण्ण रखना चाहता है । बलात्कार पूर्वक किसी का धन, धर्म और बुद्धि हरण करना पाप है और दंडनीय है । पहले तो ऐसी सिद्धि को प्राप्त करना कठिन है, यदि कोई दुरुपयोग करने के लिए प्राप्त कर ले, तो वह प्रयोक्ता के नाश का ही हेतु प्रमाणित होगी ।
एक सर्वसुलभ और सच्चा वशीकरण भी है, जिसे प्रेम के नाम से पुकारते हैं । प्रेम एक तप है । यह तप जिस प्राणी के पक्ष में किया जाता है, उसके प्रसन्न होने और वश में आने में कुछ संदेह नहीं ।
जो वशीकरण की सिद्धि को यों ही झटके के माल की तरह प्राप्त करने की फिकर में हों, उन्हें इस पुस्तक से कुछ भी सहायता न मिलेगी, किंतु जो तप करके वरदान प्राप्त करने के अनादि सिद्धांत पर विश्वास करते है, वे इस पुस्तक के आधार पर मनोवांछा पूरी कर सकेंगे, ऐसा हमारा विश्वास है ।
Table of content
1. बलिदान की आवश्यकता
2. दंपत्ति वशीकरण
3. प्रियजन का वशी करण
4. पांच अन्य साधन
5. अप्सराओं का वशीकरण
6. ईश्वर को वश में करना
7. वशीकरण के तात्रिक प्रयोग
8. मानसिक साधन
Author |
Pt. Shriram Sharma Acharya |
Edition |
2014 |
Publication |
Yug nirman yojana press |
Publisher |
Yug Nirman Yojana Vistar Trust |
Page Length |
44 |
Dimensions |
12 cm x 18 cm |